एक शमा जलाये रखना मयखाने में |
मैं आऊंगा रात मैखाने में |
उनकी याद है दिल में,
उनकी साँसों में मेरी साँस है |
उनकी आदत है बेइन्तहां मुझे,
उनकी तस्वीर लगाये रखना मयखाने में |
प्यार के गीत मैं गुनगुनाता हूँ सदा,
मौत ने मेरी बनाया है मुझे रिंद-ए-मयकादा |
उनकी बदन की खुशबू की आदत है बेइन्तहां मुझे,
कुछ इत्र लगाये रखना मयखाने में |
ताक़ीद की ज़माने ने के दिल मत लगाओ,
पर मैं तो अजब हूँ, चलता रहा |
उनको होठों को गुलाब की आदत है बेइन्तहां मुझे,
कुछ फूल सजाये रखना मयखाने में |
ए पत्थरों, क्यों बरसते हो आज मुझ पर ?
मैंने भी तो कभी ढूंढा है तुम मैं खुदा |
पत्थरों की आदत है बेइन्तहां मुझे,
कुछ संग की मूरत लगाये रखना मयखाने में |
आज पी है इतनी की दुनिया जन्नत नज़र आती है |
तेरे बगैर मेरे यार, मुझे मौत भी नहीं आती है |
अश्क़ पीने की आदत है बेइन्तहां मुझे,
मेरे मैय्यत का सामान बनाये रखना मयखाने में |