मैं इंसान हूँ, मेरा मज़हब कोई नहीं है |
मैं इंसान हूँ, इसमें गज़ब कोई नहीं है |
मैं ही मैं हूँ, चारों जानिब,
मैं ही ख़ुदा हूँ, मेरा रब्ब कोई नहीं है |
मैंने बनाया और फिर मैंने मिटाया |
मैंने काटा और मैंने ही कटाया |
मैं ही क़त्ल हूँ, क़ातिल भी मैं,
मैं इंसान हूँ, मेरा सबब कोई नहीं है |
दुनिया को देखता हूँ सर के बल,
मैं इंसान हूँ, मुझसा अजब कोई नहीं है |
Right defination of insan Agastya.
Thanks a lot.
बहुत खूब 👌
Bahut sundar. 🙂
धन्यवाद।
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