सर झुकेगा नही,
लहू से नहाकर आएंगे |
लोहे की दीवार तोड़ कर,
मंज़िल तक पहुँच जायेंगे |
इंसानियत है तलवार हमारी,
कभी ना हम घबराएंगे |
ए ख़ुदा,
तेरे घर में अपना नाम-ए-शहर रोशन कर आएंगे |
सलाम मुंबई !
सर झुकेगा नही,
लहू से नहाकर आएंगे |
लोहे की दीवार तोड़ कर,
मंज़िल तक पहुँच जायेंगे |
इंसानियत है तलवार हमारी,
कभी ना हम घबराएंगे |
ए ख़ुदा,
तेरे घर में अपना नाम-ए-शहर रोशन कर आएंगे |
सलाम मुंबई !
Geetkaar banna hai kya bro….
Why not?
Let’s see where life takes me.
Meri manjil mumbai ki sadakein hin hai…
Main bhi lyricsist hi banna chahta hoon…
Likhne je siwa mujhe kuchh aata bhi kuchh nahi hai….