मैं ही गुन्हेगार नहीं

तुम भी शामिल हो, मैं ही गुन्हेगार नहीं |
तुम क्यों मेहमिल हो ? मैं ही गुन्हेगार नहीं |

एक वार तुमने किया, एक वार किया मैंने,
तुम भी घायल हो, मैं ही फ़िगार नहीं |

मिले क्यों मुझे ही कफ़न का इनाम खुदा से ?
तुम भी बिस्मिल हो, मैं ही निगार नहीं |

वक़्त क्यों मुतहम्मिल हो ? मैं ही गुन्हेगार नहीं |
तुम भी शामिल हो, मैं ही गुन्हेगार नहीं |

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