आज के दिन का इंतज़ार नहीं था |
मुझे भी तुमसे प्यार नहीं था |
नातरस ही सुनते थे तुम फरियाद मेरी,
तुम्हारे चेहरे पर अबसार नहीं था |
मुफ्त में ही तूने मुझे जुगनू बना दिया,
मेरी ज़िंदगी में इतना अफसार नहीं था |
अच्छी साज़िश करके तूने मुझपर बरसाया,
मुझ गरीब पर पास ही कोई दार नहीं था |
इसलिए, मैं मसीहा ही बन गया अजब,
क्यूंकि मेरे पास कोई दयार नहीं था |
Nice lines Agastya.
Thanks a lot.