नहीं था

आज के दिन का इंतज़ार नहीं था |
मुझे भी तुमसे प्यार नहीं था |

नातरस ही सुनते थे तुम फरियाद मेरी,
तुम्हारे चेहरे पर अबसार नहीं था |

मुफ्त में ही तूने मुझे जुगनू बना दिया,
मेरी ज़िंदगी में इतना अफसार नहीं था |

अच्छी साज़िश करके तूने मुझपर बरसाया,
मुझ गरीब पर पास ही कोई दार नहीं था |

इसलिए, मैं मसीहा ही बन गया अजब,
क्यूंकि मेरे पास कोई दयार नहीं था |

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