एक ही दिन में दो दिन देखता हूँ मैं |
अपने आप को रोते देखता हूँ मैं |
रात पूरी गुज़री मसरूफियत में,
बाकी सबको सोता देखता हूँ मैं |
पाया तो कुछ नहीं इस तिजारत में,
जो बचा है वह भी खोते देखता हूँ मैं |
रूसवा हो गया अजब आँखों से खून देखके,
इस जन्नत को दोहजक बनते देखता हूँ मैं |
बेहतरीन
धन्यवाद |