छोटी सी बात थी, फसाद हो गयी |
खुशाल ज़िंदगी बर्बाद हो गयी |
सारे जग को एक वजह मिल गयी,
तेरी-मेरी लड़ाई शाद हो गयी |
क्या तेरा भगवान ? क्या मेरा अल्लाह ?
छोटी सी बात थी, रूदाद हो गयी |
घर-घर, गली-गली, कफ़न-कफ़न,
खून-ए-जंग यहाँ आदाब हो गयी |
क़ैद थी नमरूद की रूह क़फ़स में,
तेर-मेरी मेहेरबानी से आज़ाद हो गयी |
पहले थी सबको दुश्मनी अजब से,
ग़ज़ल पढ़ने के बाद विदाद हो गयी |
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