दिल से ना खेलो हमदम, बिखर कर टूट जाएगा |
मुस्कान पर ऐतबार नहीं, ना जाने कब लूट जायेगा |
बिस्तर पर दो सिलवटे, इनका साथ छूट जाएगा |
दिल से ना खेलो हमदम, बिखर कर टूट जाएगा |
आँखें सच बोलती है, पकड़ा तुम्हारा झूठ जाएगा |
दिल से ना खेलो हमदम, बिखर कर टूट जाएगा |
दिल में जगह नहीं बाकी, ना और दर्द का घुट जाएगा |
दिल से ना खेलो हमदम, बिखर कर टूट जाएगा |
संग क्यों है गुफ्तगू ? तुम्हारा अजब रूठ जायेगा |
दिल से ना खेलो हमदम, बिखर कर टूट जाएगा |