दादर

जब धड़कने रुक जाए,
होश उड जाए,
पसीने छुट जाए,
शरीर कांप जाए,
खून सूख जाए,
चैन खो जाए,
इज्ज़त का कचरा हो जाए,
आँख से समुंदर आ जाए,
रग-रग में करंट दौड़ जाये,
खून खौल जाए,
भूखे भेडिये नज़र आये,
क़त्ल करने का मन बन जाए,
कोई उम्मीद नज़र ना आये,
इंसानियत से भरोसा उठ जाए,
समझ जाना…
दादर स्टेशन आ गया |

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