मैंने देखें है कईं ज़माने रंगों के,
मैंने हर साल कईं होली खेली थी |
तू नहीं मेरे जीवन में पहली,
तुझसे पहले भी एक पहेली थी |
हर शाम शमा बुझती थी,
हर शाम पिघलता था लोहा मेरा |
हर शाम बदन की खुशबू आती,
हर शाम बिस्तर पर सजता सेहरा मेरा |
मैं जंगली घोड़े पर सवार था,
फिर भी चाह की भूख अकेली थी |
तू नहीं मनमोहिनी पहली,
तुझसे पहले भी एक पहेली थी |
मन समुंदर कभी पढ़ नहीं पाया,
ना ही दिल को कभी समझ पाया |
एक फिसलन है मेरे क़दमों के नीचे,
जिसने मुझे बार-बार गिराया |
जिस हाथ को मैंने चाहा,
उस हाथ में मेरी हथेली थी |
तू नहीं मेरे जीवन में पहली,
तुझसे पहले भी एक पहेली थी |
उस वक़्त की बात है यार,
जब चाँद मेहबूबा और चांदिनी सहेली थी |
तू नहीं मेरे जीवन में पहली,
तुझसे पहले भी एक पहेली थी |
Nice
Thanks a lot!