कल रात मेरी मौत हो गयी

कल रात मेरी मौत हो गयी,
ज़िंदगी ने झुकाया सर मेरा |

ऐसा तो सिर्फ़ मेरे ही साथ हुआ,
बारिश ने जलाया घर मेरा |

उसी ने दिए ज़ख्म पे ज़ख्म,
बना फिरता था जो चारागर मेरा |

मैं पाना चाहता था खोने को,
कुछ ना हो सका मगर मेरा |

अजब, ख़ुदा से मुलाक़ात हो गयी,
मिट ही गया जो था सब डर मेरा |

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