कल रात मेरी मौत हो गयी,
ज़िंदगी ने झुकाया सर मेरा |
ऐसा तो सिर्फ़ मेरे ही साथ हुआ,
बारिश ने जलाया घर मेरा |
उसी ने दिए ज़ख्म पे ज़ख्म,
बना फिरता था जो चारागर मेरा |
मैं पाना चाहता था खोने को,
कुछ ना हो सका मगर मेरा |
अजब, ख़ुदा से मुलाक़ात हो गयी,
मिट ही गया जो था सब डर मेरा |
Waah…behtarin lekhan👌👌
Thanks a lot.
nice
Thanks a lot.
Bhut hi sundar…
Thanks a lot. Do share it.
अवर्णनीय
धन्यवाद। कृपया शेयर करें ।
जी जरूर
Superb
Thanks a lot dear.
बहुत खूब।
Thanks a lot!
Nicely penned
Thanks a lot 🙂
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Thanks
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गागर में सागर
Thanks!