अपने ही वस्त्र उतार अपने को नग्न बनाया,
ए भारत वंश तूने क्या नाम कमाया |
राम और गौतम की यह धरती बेच डाली,
तेरा ओछापन देख अंतकाल भी शरमाया |
जो रोशिनी से मिटा सकता था अँधेरा,
उसे ही नेत्रहीन का बेटा फ़रमाया |
फिर महाभारत शुरू हो गयी,
ए भारत वंश तूने क्या नाम कमाया |
दूसरों को कहता था चलना सम्भल के,
आज तू खुद ही राह में डग़मगाया |
सच्चाई के सामने तूने द्वार बंद कर लिए,
छल-कपट को बना लिया अपना सरमाया |
खुद अपने अंग के पैंतीस टुकड़े कर लिए
और दूसरों की जंग को कहे मोहमाया
तेरी बहन-बेटियां चढ़ रही हवस की सूली,
ए भारत वंश तूने क्या नाम कमाया |