रात काली है |
ख़ुदा !
ख़ुदा !
ख़ुदा !
ज़िंदगी गाली है |
आग में दिल है |
यार !
यार !
यार !
दर्द में दिल है |
कुछ तारीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
अपनी चीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
तब चुप रहा |
चुप !
चुप !
चुप !
ज़माना चुप रहा |
खून की होली थी |
होली है !
होली है !
होली है !
हम दोनों ने खेली थी |
उस रात दिवाली थी |
धूम !
धूम !
धूम !
रात काली है |
कुछ तारीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
अपनी चीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
ढके बदन को, नंगी आँखें देखती रही |
नंगे बदन को ढकी आँखें देखती रही |
हे राम !
या अल्लाह !
उसकी आँखें सब कुछ देखती रही |
तेज़ हवा है |
सायं !
सायं !
सायं !
किस्मत गवाह है |
एक हाथ की ताली है |
वाह !
वाह !
वाह !
रात काली है |
तभी बच्चा था, अब जाके बदला |
पर मैं चुकाऊंगा अब जाके बदला |
खेलो !
खेलो !
खेलो !
यह खुनी खेल तो अब जाके बदला |
कुछ तारीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
अपनी चीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
मैं परेशान था सालों से अपने अंदर |
कोई सवाल था सालों से अपने अंदर |
सुनो !
सुनो !
सुनो !
मैं कुछ नहीं भूला |
आहें !
खून !
दर्द !
लाशें !
उस दिन चीखें नहीं निकली |
बदन जम गया था |
जीवन थम गया था |
बोलती बंद थी |
इंसानियत बंद थी |
मैं डर गया था |
प्यार मर गया था |
हाश !
हाश !
हाश !
मैं चुप था, अँधा नहीं |
मेरा दिल अभी हल्का हुआ नहीं है |
हे राम !
या अल्लाह !
मुझे कुछ हुआ नहीं है |
कभी मेरा समय आएगा |
जी !
जी !
जी !
जी, ज़रूर आयेगा |
मैं तब बोलूँगा |
मैं तब चीखूंगा |
चीखें ज़मीन फाड़ देंगी |
आसमान को ज़मीन में गाड़ देंगी |
चीखें डरा देंगी |
सोये हुओ को जगा देंगी |
चीखें शोर है |
चीखें घनघोर है |
चीखें ज़िंदा लाश है |
जिसे रूह की तलाश है |
चीखें !
चीखें !
चीखें !
चीखें दिन है, धर्म है |
चीखें शूल है, गरम है |
चीखों का समय आएगा |
कभी तो प्रलय आएगा |
कुछ तारीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
अपनी चीखें मैंने अब तक संभाल के रखीं है |
….बहुत ही बेहतरीन,….. दिल के जज़्बातों को पिरोया है आपने, बेहद खूबसूरत…
बोहोत धन्यवाद प्रिय मित्र | प्लीज़ आगे शेयर करें |
Ji jarur 😊
Hard hitting
Thanks a lot Poonam.
वाह!
वाह!
वाह!
Thanks a lot. Please do share it on your social media 🙂