ठीक रात को दस बजे के आस-पास — हमेशा की तरह — सोनु उर्फ़ फॉरटीस ने अपने टपोरी दोस्त गुल्लू के साथ सनम बार में एंट्री ली | फिल्म घातक का — कोई जाए तो ले आये — गाना जोर से बज रहा था | सनम बार फुल रंग-बिरंगी सुंदर नाचती हुई सनमों, धुएं और टेबल पर बैठे रंगरसियों के फेके नोटों से भरा हुआ था |
सोनु चालीस के ऊपर का हो चला था तो दोस्तों ने प्यार से फौर्टिस नाम रख दिया था | पर दिल तो अभी सोलह वाला ही था |
वही दिल, जो बाला यानि के बार बाला — मोना — पर आ चुका था |
ये बात तो सारा झिलमिल शहर जानता था | और जाने भी कैसे ना ? शहर भी तो छोटा ही था और ऊपर से सनम बार ने और रौनक लगा दी थी | एक तरफ शहर में कोई हसीना कातिल की वारदातें और एक तरफ, यह एक तरफा इश्क |
उफ़ !
उस पर अभी नया-नया जासूसी का भी भूत चढ़ा था | थोड़ी सी कीमत ले कर उसने पीछा करने का काम शुरू किआ था और एक ताज़ा ऑर्डर मिल भी गया था — श्रीमती गुप्ता के पति का पीछा करने का | श्रीमती को शक था के गुप्ताजी किसी बार बाला के प्रेम में है |
सोनु उर्फ़ फॉरटीस और गुप्ताजी की प्रेम कहानी की हीरोइन एक ही थी मोना | काफ़ी तगड़ी फीस भी मिल चुकी थी |
सोनु और गुल्लू ने बार में एंट्री ली |
अबे डीजे, गाना बदल दे |
गाने वाले को सौ का नोट देते हुए स्टाइल से सोनु ने कहा | गाना तो बदला नहीं पर डीजे के चेहरे का रंग खिल उठा |
यार फॉरटीस, आज तो बोल ही दे मोना को |
हम्म्म्मम्म्म्म, सोच तो मैं भी रहा हूँ गुल्लू पर कुछ गड़बड़ हो गयी तो ? आखिर सब की सब बिकाऊ होती है |
अरे छोड़ यार, इतने सारे नोट देखकर कोई गड़बड़ नहीं करेगी वह छमिया | सब बिकाऊ नहीं होती |
यार धीरे, अगर वह हसीना कातिल — छमिया बास्टर्ड — ने सुन लिया तो खैर नहीं | सुना है, सामान ही निकाल देती है वह |
अबे, जाने दे ना यार गुल्लू | अपने को क्या ? यह सब की एक ही कहानी है | सब की सब बिकाऊ होती है पर अपनी छमिया की बात अलग है |
सच ?
हाँ गुल्लू, आज रात तो गेम बजा ही दूंगा | तु देखता जा बस | आज की रात कातिल है |
मोना का आगमन हुआ | सोनु ने अपने करारे नोटों की गद्दी निकल ली और उसे इशारे से अपने पास बुलाया | सौ के एक नोट की अंगूठी बनायीं और उसकी बायीं हाथ की विवाह ऊँगली में पहना दी |
ज़ालिम, कब तक तडपायेगी ? आज मेरे साथ चल, रात का सीन बनाते है होटल में |
पैसे लाया है क्या लुक्खे ?
यह देख छमिया, पूरे पचास हज़ार है |
मोना को यह बात-चीत का तरीका पसंद नहीं था पर शाम जवान थी और नोट करारे थे | थोड़ी देर में वह बार के सेठ को बोलकर फॉरटीस के साथ बाहर चली गयी | गुल्लू अभी अंदर ही बैठा दस-दस के नोटों की बरसात करता रहा |
दोनों एक ऑटो-रिक्शा में बैठकर पास के डायमंड पार्क होटल में चले गए | रूम नंबर फिक्स था २०१ | अंदर आते ही कुछ बातों, कुछ शराबों का, कुछ झींगा-झांगी का सिलसिला शुरू हुआ | पर ज़्यादातर बातें ही हुई |
मोना, देख…
क्या ?
अबे, बोल रहा हूँ ना | आई लव यू |
क्या !?
हाँ, आई लव यू | कबसे तेरे चक्कर काट रहा हूँ | मैं पागल हो चूका हूँ | अब तेरे बिना रहा नहीं जाता |
तो करना क्या है ? शादी करेगा मुझसे ?
वह बाद में देखते है, पहले दूसरी बातें कर लें ?
मतलब ?
होटल मैं पूजा करने तो नहीं लाया तुझे मैं | पर हाँ, कुछ बात करनी है |
देख बे फॉरटीस…
ए, सोनु नाम है मेरा |
हाँ तो मैं भी मोना हूँ, छमिया नहीं |
हाँ-हाँ, पर है तो वही ना |
वह मुझे तुम जैसों ने बनाया है | मैं तो सिर्फ़ नाचके अपना घर चलती हूँ |
सिर्फ़ नाचके ? तेरा गुप्ताजी के साथ क्या चक्कर है ? बड़े-बड़े सेठों को फसाती है ?
नहीं | वह खुद ही मेरे पीछे-पीछे बार में आता है | मेरा कोई चक्कर नहीं उसके साथ |
चल झूठी | तेरे जैसी लड़कियों का यही काम है, मैं सब जानता हूँ | बचपन से बारों के चक्कर काट रहा हूँ |
मैं झूठ नहीं बोलती | मैं सिर्फ़ पैसों से प्यार करती हूँ, लोगों से नहीं और तुम्हारे जैसे लोगों की गंदी सोच के लोगों ने मुझे बार बाला बना दिया | पर अब बस, मैं अपना घर बासाना चाहती हूँ |
तो चल आजा, फिर आज हनीमून शादी पर वह श्रीमती गुपता ने पचास हज़ार दिए है गुप्ताजी के बारे में पता करने के लिए | और वह कमीना तो तेरे ही गार्डन का भवरा बना फ़िर रहा है |
मुझे पता है |
तो अब क्या करना है ?
तू एक काम कर, श्रीमती गुप्ता को बोल के सुबह ही होटल डायमंड पार्क आ जाये और आते ही तो उनको सारी बात बता दे | उनको बोल दे की गुप्ताजी कोई छमिया नाम की बार बाला के प्रेम में है, थोड़े और पैसे दो तो और पता लगाता हूँ | फिर हम यहाँ से भाग जायेंगे |
इतनी बात करके और एक डबल लार्ज व्हिस्की का पेग लगा के, फॉरटीस ने बत्ती बुझा दी और मोना पर भूखे कुत्ते की तरह झपट पड़ा |
रात तो शायद सुंदर ही बीती दोनों की |
सुबह हुई ही थी के होटल डायमंड पार्क के लॉबी में पुलिस का घेरा था | रूम २०१ में श्रीमती गुप्ता कोने में पड़ी रो रही थी और सोनु उर्फ़ फॉरटीस की खून से सनी लाश पड़ी थी |
शरीर का वह हिस्सा कटा हुआ था |
बास्टर्ड |
ऐसा कहकर, सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर ने लाश के बगल में पड़ी चिट्ठी उठाई, जिसमें एक लाइन लिखी थी |
जैसी है दुनिया वैसी नहीं दिखती है, उस से प्रेम मत करना जो बिकती है | तुम्हरी, छमिया बास्टर्ड |