महाभारत

हर युग में,
हर शतक में,
हर दशक में,
हर साल,
हर दिन,
हर क्षण,
महाभारत होती रहेगी ।

कभी ज़र के लिए,
कभी ज़मीन के लिए,
कभी औरत के लिए,
कभी दौलत के लिए,
कभी सच के लिए,
कभी गर्व के लिए,
कभी लालच के लिए,
कभी कुर्सी के लिए,
महाभारत होती रहेगी ।

दीन में,
धर्म में,
झोपडी में,
महल में,
घर में,
दफ्तर में,
रास्ते मैं,
रिश्तों में,
भीड़ में,
अकेलेपन में,
खुद अपने अंदर में,
महाभारत होती रहेगी ।

कोई अपनों से,
कोई सपनों से,
कोई गैरों से,
कोई नेता से,
कोई अभिनेता से,
कोई घायल से,
कोई पागल से,
कोई अपनी शख्सियत से,
महाभारत होती रहेगी ।

10 thoughts on “महाभारत

Leave a Reply