सूफ़ी कलाम

मसर्रत भी है, अज़ीयत भी है |
कुछ शायराना मेरी तबियत भी है |

ज़िंदगी मेरी गोया फ़साना है कोई,
कुछ तसव्वुर, कुछ हकीक़त भी है |

सिर्फ़ ज़रुरत नहीं फ़िलहाल ख़ुदा की,
रूह की तलाश की अव्वालिय्यत भी है |

मिलती तो रोज़ है मुझे, लेकिन,
कुछ रानाई भी, कुछ ग़ैरियात भी है |

दिल मेरा गोया मज्बह ही है शायद,
कुछ उनकी दुश्मनी, कुछ मवदत भी है |

एक सूफ़ी कलाम की कोशिश है, अजब,
कुछ रब की रहमत, कुछ मिलकियत भी है |

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