शेम कथा

शमन जवानी की चोटी पर था | खून में जवानी, बातों में जवानी, दिल में जवानी, जेब में जवानी, जवानी ही जवानी | जवानी तो जैसे रम थी जिसे वह रोज़ ही पीता और जीता था |

उम्र २५ की थी पर घमंड एक युग पुराना और स्टाइल फुल फिल्मी |

हर पल कुछ नये की तलाश में रहता था | एक दिन इस नये के चक्कर में अपना पुराना नाम को चेंज करके ये नया नाम — शमन — रख दिया | पर झोल इस नये की तलाश में नहीं पर कभी एक जगह पर ना टिकना में था |

कभी बे-पेंदे के लोटे जैसे उधर, तो कभी इधर | बाप किसान, बेचारा फावड़े से कमाता था और शमन *** से गवाता था|

समझ गये ना !?

रात शुरू ही हुई थी के शमन के दिमाग जैसे खाली घर में घंटी बजी | दरवाज़े पर उसकी गर्लफ्रेंड — रिया — साक्षात काली माँ का रूप धारे खड़ी थी | बड़े ही पप्पियों-झाप्पियों से रिया का स्वागत हुआ और वह तेज़ी से अंदर आकर सोफे पर बैठ गयी |

रूम में एकदम अँधेरा था | सिर्फ़ कैंडल-लाइट डिनर जैसा मूड बना हुआ था |

बको, क्यूँ बुलाया है मुझे ?

रिया, मेरी जानु…

मैं अब तुम्हरी जानु-फानु नहीं हूँ |

हाँ सॉरी | रिया, मैंने तुम्हे बोहोत सताया है |

तो, इसमें नया क्या है, शमन ?

मेरी बात तो सुनो ना |

बको |

मैं अपनी गलती मानता हूँ | मैंने तुम्हारे साथ कभी वफ़ा नहीं निभाई |

यह तो मैं अच्छी तरह समझ चुकी थी इसलिए तुम्हे लात मारके अपनी जिंदगी से निकल दिया |

ठीक किया रिया पर मैं पश्चाताप की आग में सुलग रहा हूँ और प्रायश्चित करना चाहता हूँ |

क्या ? पचा…पश्चा…प्रायचित…क्या बकवास बोल रहे हो तुम ? साफ़-साफ़ बात करो |

सॉरी-सॉरी | मैं अपनी गलती सुधरना चाहता हूँ |

शमन, तुम कुत्ते हो और अपना कोई उल्लू सीधा करने के चक्कर में होगे |

नहीं-नहीं रिया, सच में | मेरी बात सुन तो लो प्लीज़ |

ओके, बको |

इतना बोलते ही शमन ने सोफे के नीचे से एक रम का क्वार्टर निकाल लिया | दो घूँट भी लगा लिए — बड़े वाले | रिया भी कम ना थी | उसने भी रम एक घूँट लगा लिया और अकड के बैठ गयी |

शमन, तुम कुत्ते हो सही में, आगे बको |

एक्चुअली रिया, मैंने तुमसे प्यार का नाटक किया था | तुम्हारा हरा-भरा शरीर देखकर मुझे वासना की आग जाग गयी और मैंने तुम्हे पटाने का सोचा | पर जैसे-जैसे हम पास आने लगे…

हाँ, जैसे-जैसे तुम्हारा नीच शरीर मेरे पास आने लगा, एसा कहो |

अच्छा ठीक है, वैसा ही पर अब मैं अपनी गलतियों को सुधारना चाहता हूँ | मैं तुमसे माफ़ी माँगना चाहता हूँ, बदलना चाहता हूँ |

हो गया ?

हाँ |

तो सुनो | मैं यह तो समझ ही गयी थी, भले देर लगी | तुम्हारी हरकतों सेयह साफ़ पता चलता था के तुम सिर्फ़ मुझे यूज़ करना चाहते थे और इसलिए कभी बाहर मिलते ही नहीं थे | हमेशा मुझे घर पर ही बुलाते थे | तुम क्या मुझे इतना बेवक़ूफ़ समझते हो, शमन ?

सॉरी |

शेम-शेम | शर्म आनी चाहिए तुम्हे |

आ रही है, बहुत| पर अब मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, रिया |

बकवास बंद करो, मुझे जाना है | तुम्हारी लाइफ तुमरे इस अँधेरे रूम जैसे ही है, लूसेर |

इतना कहती ही ज़ोर का धक्का देकर रिया दरवाज़े की तरफ जाने लगी | शमन पैरों पर गिरके माफियाँ मांगने लगा पर वह ना रुकी | क्या रूकती ? आखों में खून था और पेट के अंदर रम |

गेट लॉस्ट, कुत्ते |

ऐसा बोलकर रिया ने एक कसके थप्पड़ धर दिया शमन के गाल पर |

उसके जाते ही रूम में पहले जैसा सन्नाटा हो गया | शमन अभी ज़मीन पर ही पड़ा था | रोने जैसे चेहरा हो गया था | शायद शर्मिंदा था, शायद डरा हुआ या शायद फिर कुछ नये की तलाश में | धीरे से सोफे के ऊपर बैठा, बाल बनाये, थोडा सा मुस्कुराया, एक और बड़ा घूँट रम का पिया और अपनी लेफ्ट हाथ की बीच वाली ऊँगली दरवाज़े को दिखाते हुए बोला पड़ा |

पकाऊ साली !

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