कितनी बार कहूँ ?
शराफ़त छोड़ दी मैंने |
अब शराब नहीं पीता,
उनके जैसे नहीं जीता |
शराब तो शरीफ़ लोग पीते है |
शराब पिके झूमते है |
औरों की बातें करते है |
गंदी-गंदी बातें |
झूठ बोलते है |
कभी शेर, कभी बंदर,
कभी सुअर बन जाते है |
अब शराब नहीं पीता,
उनके जैसे नहीं जीता |
शराब तो शरीफ़ लोग पीते है |
यह सब शरीफ़ है |
उजले कपड़ों में मैला दिल,
आमदनी छोटी पर बड़ा बिल |
सांप का बिल |
पीन के बाद सब सच बोलते है |
अब शराब नहीं पीता,
उनके जैसे नहीं जीता |
शराब तो शरीफ़ लोग पीते है |
शराबियों का ऊंचा नाम है |
चरित्र दोगला,
लंबी-चौड़ी शान है |
खुद शराबों में डूबे रहते है,
और दुसरे को कहते बेईमान है |
मिथ्या-चरित्र |
गोल-गोल बात करते है |
साफ़ पर पर्दा डालते है |
सारे पाप,
बाप-रे-बाप, करें है इन्होने |
वो भी रोज़ |
फ़िर शराफ़त की बात करते है |
यह बेईमान लोग,
देश को लूटते है |
गंदगी करते है |
बलात्कार तो रोज़ हो करते है |
कभी नारी, कभी देश है |
यह सब के बाद भी,
मंदिरों-मस्जिदों में लाइन लगते है |
वो भी ख़ास-पास लेकर |
यह सब शरीफ़ है |
मैं नहीं हूँ |
नाही बनना चाहता हूँ,
इन जैसा |
इसीलिए,
कितनी बार कहूँ ?
शराफ़त छोड़ दी मैंने |
Nice lines Agastya .
Thanks a lot.