यूँही

खत्म कर दो सब प्यार के किस्से तुम, यूँही |
जी लेने दो मुझे ख्वाब-ए-गफलत में, यूँही |

तुम आज आयी हो जब मेरे हाथ खाली है ?
ले जाओ और कुछ नहीं तो मेरी जान तुम, यूँही |

इन सपनों से कोई पूछे की नींद से दोस्ती क्यों है ?
इस मायूसी से कोई पूछे की दिल से दोस्ती क्यों है ?

घिर आते है जब भी बादल ग़म के,
याद बहुत, बहुत आती हो तुम, यूँही |

रिंद हुँ, शराब मेरा मज़हब है |
सुबह से शाम तक की यह मदहोशी अजब है |

बस ! एक बार फिर तुम्हे देखना चाहता हूँ,
कभी ज़ाहिर या कभी छुपकर दिखना तुम, यूँही |

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