यह उस वक़्त की बात है जब इश्क सच्चा हुआ करता था |
यह उस वक़्त की बात है जब इश्क हुआ करता था |
उसको देखते ही मौसम रंगीन,
और सेक्शन गरम हो जाता था |
उस से बस एक गुफ़्तगू की,
बस एक गुफ़्तगू की दुआ करता था |
आज फेसबुक पर अनफ्रेंड होने से भी तकलीफ़ नहीं होती,
पहले उसका,
एक बार मूह फेर के बोलना भी छुआ करता था |
अब चैटिंग से थक-हार कर रातों को ही जागता हूँ,
क्या बात थी,
पहले तो सुबह का रंग गेरुआ हुआ करता था |
मेरे हिस्से का यह नया ख़ुदा तो मेरी सुनता ही नहीं है,
कभी कागज़ पर लिखा हुआ सपना पूरा हुआ करता था |
यह उस वक़्त की बात है जब इश्क सच्चा हुआ करता था |
यह उस वक़्त की बात है जब इश्क हुआ करता था |