मैं भूल ही गया नाम अपना मेरा

ग़म ही नहीं आज सपना मेरा,
तेरी आँखों में बनकर रहा अपना मेरा |

ज़हर से नहीं तो याद से ही मार जाते,
ना कांधों पर उठता शव अपना मेरा |

होश ही ना रहा, क्या लिखता मैं ?
ऐसा शायर अंदर का दफना मेरा |

मैं तो हो गया अब सारे जहान का,
सिर्फ़ हो ना सका खुद अपना मेरा |

सिर्फ़ तुझे ही लिखा फना होने तक,
एक ही काम, बस ! नाम जपना तेरा |

तेरे ही नाम से शाद हो गया अजब,
मैं भूल ही गया नाम अपना मेरा |

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