जिसका कोई नहीं उसका कौन है,
मैं नहीं जानता |
मेरे नसीब का मालिक कौन है,
मैं नहीं जानता |
कौन अल्लाह ? कौन भगवान ?
मुझे नहीं मालूम |
ना पुराण, ना क़ुरान कौन है,
मैं नहीं जानता |
मुझे तो सिर्फ़ घर समझ आता है |
क्या हिंदुस्तान ? क्या पाकिस्तान ?
मैं नहीं जानता |
ना आती है मुझे फ़ारसी या दरी, यार अजब,
बस एक प्यार के इलावा कोई ज़ुबान,
मैं नहीं जानता |
ढूंढिये सब मिल जाएगा, सब समझ आ जायेगा।
अच्छी रचना
Thanks a lot for the kind words.
Nice lines Agastya.
Thanks a lot for the appreciation.
बहुत खूब…. 👌👌👌