मुअम्मा

मैं भी मुअम्मा, तू भी मुअम्मा |
जान भी मुअम्मा, रूह भी मुअम्मा |

क्या नाज़ करूँ हाल-ए-ज़ीस्त का ?
हक़ीक़त भी मुअम्मा, आरज़ू भी मुअम्मा |

रात भी मुअम्मा, बात भी मुअम्मा |
ख़ुदा भी मुअम्मा, कायनात भी मुअम्मा |

इस जगह का हिसाब कितना अजब है |
सब लोग मुअम्मा, हर तरफ़ मुअम्मा |

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