जहाँ तक सेहरा दिखाई देता है |
मेरी तरह अकेला दिखाई देता है |
ना कोई फूल है दामन में, ना रंग है कोई और,
ना आगाज़, ना कोई अंजाम दिखाई देता है |
मेरी तरह वह भी आतिश है,
में भी वीरान, वह भी बर्बाद दिखाई देता है |
हो फुर्सत तो देखिये ज़ख्मों को,
यहाँ हर नज़ारा धुंधला दिखाई देता है |
वह सेहरा है और मैं इंसान अजब,
फ़िर भी कितना मरासिम दिखाई देता है |
👌👌👍