तो क्या होता ?

कागज़ के पंख लगा कर,
मेरा प्यार वाला पंछी
गिरता नहीं तो क्या होता ?

तेरी मोहब्बत को बना कर ख़ुदा,
लगाया सीने से मैंने
खंजर नहीं चुभता तो क्या होता ?

हथेली पर लगी मेहँदी,
इंसान के जैसे ही फना हो गयी
नीली नहीं पड़ती तो क्या होता ?

अच्छा होता,
सह लेता उनकी बेवफाई,
मरने से पहले |
मर नहीं जाता तो क्या होता ?

जन्नत में तो अजब से सवाल उठाया,
खुद ख़ुदा ने इबादत का |
पहले ही मान लेता तो क्या होता ?

One thought on “तो क्या होता ?

Leave a Reply