सुख की चादर ओढ़े जहाँ ज़िंदगी मुस्कुराये |
अरमानों का खून ना हो,
हर सपना साकार हो जाए |
जहाँ अमन और प्रेम से भरा हो आकाश |
एक ऐसे ही जहान की मुझे है तलाश |
हम तो जहाँ गए मिली पत्थर की मूरत |
देखा तो पाया इंसान में हैवान की सूरत |
मुसाफिर हैं, चलना हमारा काम है |
इंसान तो मुकैय्यद है, सुख-दुःख की शाम है |
ऐसा मंज़र जहाँ कोई ना हो हताश |
एक ऐसे ही जहान की मुझे है तलाश |
क्या मजाल जो हँसी होठों को छू ले जनाब ?
यह क्या दुःख का जाल है और सुख का नक़ाब ?
आख़िर कब तक उठाएंगे ज़िंदगी की लाश ?
एक ऐसे ही जहान की मुझे है तलाश |
शफ़क़ का मरासिम सूरज से, सदियों से है |
चांदिनी का मरासिम माहताब से, सदियों से है |
वक़्त का मरासिम रेत से, सदियों से है |
प्यार का मरासिम अजब से, सदियों से है |
छोडो जात-पात के झूठे फसाब,
एक पल या इतिहास बनो |
कुछ भी बनो मुबारक है,
पर पहले एक अच्छा इंसान बनो |
तमन्ना है मुझे एक ऐसे मंज़र की,
जहाँ हो सब जलाश |
एक ऐसे ही जहान की मुझे है तलाश |
Nice words Agastya.
Thanks a lot for the kind appreciation!
Bhut khoob👍👍
Thanks a lot for the kind appreciation!
Bahut khoob.
Thanks a lot for the kind appreciation!
वाकई ख़ूबसूरत
धन्यवाद ।