उसने लौ जला दी हमदर्दी की,
छू कर रूह को कर दिया कमाल |
उस ने जो पहनाई शॉल ठण्ड में,
जल पड़ी मेरी दिल की मशाल |
हाथ भागने लगे, पैर ने दुआ मांगी,
ऐसा भी होता है, होता है हाल |
जल पड़ी मेरी दिल की मशाल |
मैं शुन्य, मेरा शुन्य,
बदल गयी मेरी चाल |
जल पड़ी मेरी दिल की मशाल |
दिल से दिल क्या नहीं मिल सकते ?
अब सबको मेरा यह सवाल |
जल पड़ी मेरी दिल की मशाल |
वह ही निपुण है, सिद्धार्थ है,
जो इस जग का हमाल |
जल पड़ी मेरी दिल की मशाल |
जान लिया गीत अजब ने,
समझ ली सब सुर-ताल |
जल पड़ी मेरी दिल की मशाल |