हर तरफ़ भागता-दौड़ता,
कभी मसरूफ, कभी बेकार हूँ
क्या मैं सिर्फ़ एक औज़ार हूँ ?
कभी इतना बड़ा धोखा,
कभी घमासान वार हुँ |
क्या मैं सिर्फ़ एक औज़ार हूँ ?
लोग रोज़ खरीदते है मुझे,
सस्ते दामों का बाजार हूँ|
क्या मैं सिर्फ़ एक औज़ार हूँ ?
मेरी इंसानियत कमज़ोर है,
वहशत में बेशुमार हुँ |
क्या मैं सिर्फ़ एक औज़ार हूँ ?
इतनी भूखी हज़रतों में अजब,
अपनी जीत में, अपनी हार हूँ |
क्या मैं सिर्फ़ एक औज़ार हूँ ?
Gr8 dear
Thanks a lot. Do share it.
Ur wlcm bro