कहीं ज़मीन, आसमान कहीं |
कोई है कहीं, कोई है कहीं |
अँधेरे को सूरज नहीं दरकार,
एक मचलती हुई लौ ही सही |
कोई है कहीं, कोई है कहीं |
तू ज़िंदा है तो यह कर अजब,
उतार ला स्वर्ग को यहीं |
कोई है कहीं, कोई है कहीं |
हर दिल बदल सकता है दिल,
बना सकता है दुनिया हसीं |
कोई है कहीं, कोई है कहीं |
visvas ke shabd nice Agastya.
Thanks a lot.
Nice….
Thanks a lot.
Wlcm😊
“अँधेरे को सूरज नहीं दरकार,
एक मचलती हुई लौ ही सही |”
👌👍👏
Behtareen!
Thanks a lot!