सबसे अलग मेरा घर है,
वह मकान कोने का |
यह मेरा घर है, एक पिंजरा सोने का |
मेरे घर की दीवारें सुनहरी है,
और एक नायाब सा झूला सोने का |
यहघर है, एक पिंजरा सोने का |
सोने की सलाखों से देखता हुँ गगन,
वही मिलेगा जो नतीजा है बोने का |
यहघर है, एक पिंजरा सोने का |
एक दरवाज़ा और सौ खिड़कियाँ,
और एक आइना रोने-धोने का |
यह मेरा घर है, एक पिंजरा सोने का |
मेरे पैरों में बंधे है सुनहरे घुंघरू,
यह है फर्क, सच होने ना होने का |
यह मेरा घर है, एक पिंजरा सोने का |
शायद में कभी ना आज़ाद हो पाऊं,
लगता है ये मांजरा जादू-टोने का |
यह मेरा घर है, एक पिंजरा सोने का |
खत्म हो जायेगी बात मेरी-तुम्हारी,
खेल ना कभी खत्म होगा खिलोने का |
यह मेरा घर है, एक पिंजरा सोने का |
behad sundar kavita.
Thanks a lot brother.
Wow it’s amazing and a little bit deep. Na samzo to kuch nhi aur samzo to bahut kuch. Bahut khoob. Sir.
Wow it’s amazing and a little bit deep. Na samzo to kuch nhi aur samzo to bahut kuch. Bahut khoob. Sir.
Thanks a lot. Do share it.
bahut khoobsurat..
Thanks a lot for the kind appreciation.