जिम्मी, कितने साल बाद मिलें है यार हम लोग ?
लगभग २२ साल बाद |
सब कुछ कितना बदल गया है पर फ़िर भी कितना सेम है ना ?
हाँ यार चिंकी, इन्ना मज़्ज़ा आ रहा है | आप क्या मिले, लाइफ बन गयी |
सेम-टू-सेम |
क्या पिओगी? यहाँ सब कुछ है |
अभी कुछ नहीं | आज उपवास है पर रात १२ के बाद थोडा पी लूंगी |
२२ साल बाद, फ़िर एक बार ज्ञानसागर स्कूल के कुछ स्टूडेंट्स एक साथ एक जगह पर जमा हुए थे | जिम्मी ने बड़े जतन से एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया था और खोद-खोद से पुराने दोस्तों को उस में घुसाया था |
पर शायद, ढूँढना तो सिर्फ़ एक को ही था |
दिसंबर की एक कड़कती रात में दिल्ली के पॉश ऐरिया में अपनी पुश्तेनी हवेली में जिम्मी ने रीयूनियन जमाया | सब आये — कुछ पुराने जान-पहचान वाले, कुछ जो थे पर दोस्त नहीं थे और कुछ जिस से दोस्ती करनी थी पर हो ना पायी |
१९९५ के करीब पच्चास लोग आये हुए थे |
सीन संगीन और रात रंगीन थी | जाम पर जाम छलक रहे थे | कहीं ज़ोर-ज़ोर से हसीं फूट रही थी तो कहीं आसूं टपक रहे थे | सब पुरानी यादों और नयी नयी दोस्ती में मदहोश थे | एक-एक कोना हर एक ने पकड़ लिया था |
हवेली बड़ी थी | सेक्शन गरम था |
रात १२ के बाद चिंकी को भी मस्ती आयी | वह भी दुसरे दोस्तों की तरह शराब पिके यादों के पुरानी गलियों में झूमते हुए घूमना चाहती थी | बिलकुल वैसी की वैसी ही थी — चुलबुली |
जिम्मी, लगता है थोड़ी एसिडिटी हो रही है | कोई दवाई है क्या ?
व्हिस्की है — बेस्ट मेडिसिन |
नहीं यार, पहले कुछ इनो या कुछ एफ्फेरवेसेंट वाली दावा है तो दो प्लीज़ |
हाँ है, अभी देता हूँ आपको ?
जिम्मी, यह क्या आप-आप लगा रखा है ? हम दोनों एक ही उम्र के है | कम ओन, वी आर स्कूल फ्रेंड्स |
जिम्मी ने एक अच्चे होस्ट की तरह पानी में एक गोली मिलाकर चिंकी को दे दी और फ़िर सबसे मिलने के बाद, दोनों बालकनी में जाके बातें करने लगे |
चिंकी, तुम ठीक कहती हो पर हम स्कूल में कभी दोस्त नहीं हो पाए, इस लिए थोडा डर रहा हूँ |
छोडो यार, इतने साल बीत चुके है | अब सब नया है |
हाँ यार|
पर यार जिम्मी, सबको कनेक्ट करने लिए सुपर-थैंक्स |
अरे यार, क्या थैंक्स ? मैं भी तो तुम सबको ढूंड ही रहा था | आखिर हाथ आ ही गए सब |
हाँ यार |
तो चिंकी, तेरा तो स्कूल में फुल धत्तिंग था ना एक के साथ ?
अरे ! तू जानता है ?
साला, कौन नहीं जानता | तू स्कूल की सबसे फेमस लड़की थी | सब तेरे पीछे थे |
क्या मतलब सब ? कुछ भी |
सच यार चिंकी, सब मतलब सब लड़के |
हा-हा-हा !
तू कितनों थी दिल की धड़कन थी ये तू खुद भी नहीं जानती | आज भी होगी |
क्या मतलब ?
कुछ नहीं | रफ़ा-दफ़ा करो | अब तो तू शादी-चुदा है |
व्हाट नॉनसेंस ?
कुछ नहीं यार, जस्ट मस्ती |
माहोल खूब मस्ती वाला था | सब एक दुसरे की बाँहों में इसे गिरे पड़े थे जैसे जन्मों-जन्मों का रिश्ता ईमेल करवाया हो भगवान से | पर बात तो यह थी की बहुत लोग एक दुसरे को पहले से ही जानते थे और स्कूल में उनके रिश्ते भी अच्छे थे |
जिम्मी शांत स्टूडेंट था, इसलिए उसके ज़्यादा फ्रेंड्स नहीं थे और नाही ज़्यादा कोई उसे जानता था | पर वो था बड़ा दिलवाला | स्कूल में अनेक ग़रीब बच्चों की फीस भरा करता था | आज, अपने पुराने दिनों को वापिस एक बार जीने की फीस भर रहा था |
मेरा तो सब पूछ लिया | अपना तो कुछ बता जिम्मी |
बस ! वैसा ही हूँ — शांत और प्यारा |
तेरा भी तो कोई क्रश होगा ना स्कूल में ?
थी तो !
जिम्मी ने एक लंबा गूंट व्हिस्की का लगते हुए कहा | पता नहीं कहा या छुपाया पर शायद चिंकी ने भांप लिया | उसने भी एक लंबा गूंट व्हिस्की का लगते हुए मन में सोचा के आज तो उसके मुह की बात बाहर निकल के सब के सामने रख देगी |
सोचा, थोडा टाइम-पास भी हो जाएगा और एक नया टॉपिक मिलेगा दोस्तों को बात करने के लिए |
तो नाम तो बता |
छोड़ ना चिंकी, जाने भी दे अब |
चिंकी ने जिम्मी को अपनी ओर किया और आँख में आँख डाल के फ़िर पुछा | बड़े ही प्यार से — कुछ ज़्यादा ही |
तुझे मेरी कसम, बोल |
जिम्मी तो जैसे १९८८ में पहुँच गया | हिंदी फिल्म तेज़ाब का गाना — कहदो की तुम हो मेरी वरना — दिमाग में गूंजने लगा | उसकी सांसें ही रुक गयी | शरीर जम गया | एक शर्माती हुई कमीनी मुस्कराहट चेहरे पर आ गयी |
चिंकी |
हाँ, बोल क्या ?
कुछ नहीं, नाम बताया मैंने |
सीन एकदम बिल्ला हो गया | चिंकी एकदम से चुप हो गयी — मुड गयी | जिम्मी भी चुप-चाप फर्श को देखते हुए खड़ा रहा | बाहर सब अपनी मस्ती में डूबे हुए थे | उन्हें क्या पता की यहाँ किसी की कश्ती डूबने वाली थी | जिम्मी ने तो अपने मन की छुपी बात — २२ साल से छुपी बात — कह दी थी पर वह अंजाम भी जानता था, इसलिए बता नहीं रहा था |
अचानक चिंकी ने जिम्मी के दाहिने गाल पर एक कस के थप्पड़ जड़ दिया और और लड़खड़ाने लगी |
जिम्मी, यू लूज़र |
इतना कहकर वह अपनी एक पुरानी फ्रेंड के पास गयी, उस से कुछ कहा और अपने लिए रखने गए रूम में चली गयी | जिम्मी बालकनी में अकेला थोड़ी देर खड़ा रही फ़िर चिंकी की वही वाली फ्रेंड से बात करने लगा |
२२ साल से जो लावा उछल रहा था आज निकल ही गया | बहुत मेहनत से पुराने दोस्तों को ढूंडा था |
पर शायद, ढूँढना तो सिर्फ़ एक को ही था |
या शायद दो को |
दोपहर को जाकर चिंकी की आँख खिली | उसका सर भारी-भारी था | रूम को ऐसे देख रही थी जैसे मानो रात क्या हुआ कुछ पता ही ना हो | फुल झल्लाई हुई थी | उसने देखा की उसकी फ्रेंड साथ में सो रही थी | यह भी देखा के अपने तकिये के पास एक चिट्ठी पड़ी थी | खोली तो उसमें एक लाइन लिखी थी |
उसके तो जैसे होश ही उड़ गए | अध-पगलाई हाल में अपनी फ्रेंड को उठाया और वह चिठ्ठी दिखाई | ना कुछ याद था रात का, ना कुछ समझ आ रहा था | फ्रेंड की भी वही हालत थी — सर भारी और झल्लापन | उसने ने भी पाने तकिये पर पास एक चिट्ठी पायी | खोली तो उसमें भी एक लाइन लिखी थी |
हम सुहाग रात तो नहीं कर पाय पर क्रशरात ही सही | इन्ना मज़्ज़ा आया |
फ्रेंड मुस्कुराई | चिंकी फूट-फूट के रोने लगी |