एक ग़ज़ल लिख लूँ, अभी ग़म सोया है |
हाल-ए-दिल लिख लूँ, अभी ग़म सोया है |
उठेगा तो यह सर पर उठालेगा मेरा जहान,
कागज़ पर कहानी लिख लूँ, अभी ग़म सोया है |
उसने कहीं छुपा रखा है मेरा नसीब,
अपनी ज़ुबानी लिख लूँ, अभी ग़म सोया है |
उसको भी तोहफ़ा दिया जाए, चौंकाया जाए,
उसकी भी कहानी लिख लूँ, अभी ग़म सोया है |
Beautiful poem…
Thanks a lot.