सोचो

सोचो अगर बर्फ काली होती,
गंगा खाली होती |
कितना मज़ा आता अगर,
अमीरी कमज़ोर और गरीबी शक्तिशाली होती |

सोचो अगर दिल की जेब खाली होती,
ना होठों पर गाली होती |
कितना मज़ा आता अगर,
पृथ्वी मेरी बीवी और चाँद मेरी साली होती |

सोचो अगर पूरी थाली होती,
खाने को रोटी रुमाली होती |
कितना मज़ा आता अगर,
पेट ही ना होता और यह हक़ीक़त जाली होती |

सोचो अगर मैं बाग़ होता,
कायनात माली होती |
कितना मज़ा आता अगर,
हर दिन होली और हर रात दिवाली होती |

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