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एक मुट्ठी राख़

छोटा सा जीवन है,
छोड़ो घमंड जब होना है ख़ाक |
तुम कौन हो ?
एक मुट्ठी राख़ |

ना मैं कुछ, ना मेरा कुछ,
समझ गया मैं ये बात |
मैं कौन हूँ ?
एक मुट्ठी राख़ |

एक पल में शुन्य हो जायेगा,
जो बनता है बेबाक |
वह कौन हैं ?
एक मुट्ठी राख़ |

कब शुरू, कब ख़त्म,
ना मिलेगा जिंदगी का सुराग |
हम कौन हैं ?
एक मुट्ठी राख़ |

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