अकाल, अनाद, अरूप

वह कहते है मुझसे कि मूर्ति नहीं रखते हो ?क्या भाई, इश्वर पर विश्वास नहीं रखते हो ?मैं कुछ यह कहता हूँ कि,अकाल, अनाद, अरूप,यही मेरे ख़ुदा का रूप | हर राह में राह है,हर जगह अल्लाह है,वह है हर जगह, उसका ही वंश इंसान है,उस कृपालु को मूर्तियों, किताबों में क्या ढूँढना ?कण-कण में है … Continue reading अकाल, अनाद, अरूप