कभी सर, कभी ईमान,
प्रतिष्ठा |
कभी जन, कभी जहान,
प्रतिष्ठा |
कभी गुर्रोर,
कभी हट,
कभी अश्लील,
कभी मगरूर,
कभी मिथ्या,
कभी घायल,
प्रतिष्ठा |
मेरी प्रतिष्ठा, मेरी प्रतिष्ठा |
तेरी प्रतिष्ठा, तेरी प्रतिष्ठा |
कभी झूठ,
कभी कमाल,
प्रतिष्ठा |
अधनंगे बदन की छवि,
प्रतिष्ठा |
ज़ुल्मों से दबी,
प्रतिष्ठा |
राजपूतों के यंत्रों की,
प्रतिष्ठा |
भ्रमानों के मंत्रो की,
प्रतिष्ठा |
सिर्फ एक की नहीं,
सबकी है ये,
प्रतिष्ठा |
यह जलती है |
यह मिलाती है |
आग में देश को जलती है,
प्रतिष्ठा |
भूखों को खाना नहीं,
धनवान की जागीर है,
प्रतिष्ठा |
जोडती नहीं,
पर तुडवाने में माहिर है,
प्रतिष्ठा |
इतना खून बहा,
प्रतिष्ठा ?
इतने घर जले,
प्रतिष्ठा ?
लाल ही लाल चारों और,
प्रतिष्ठा ?
आग ही आग,
प्रतिष्ठा ?
क्या ये है,
प्रतिष्ठा ?
सताए, रुलाये, मिटाए, हटाये,
आग, आग, आग,
लगाये प्रतिष्ठा |
नोच-नोच के,
चुन-चुन के,
बलात्कार करे,
प्रतिष्ठा |
और फ़िर,
बलात्कार के खून से,
अपने माथे पर,
आह !
अपने माथे पर,
तिलक लगाये,
प्रतिष्ठा |
BAHUT KHUB SAHAB ….
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Thanks a lot for the kind appreciation!
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झूठी प्रतिष्ठा ने इंसान का जीना मुश्किल कर दिया है
अहंकार पूर्ण प्रतिष्ठा से दूर कही संवेदना अभी भी बाकी है
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बिलकुल सही।
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