ज़िंदगी हमे यह कहाँ ले आयी ?
खुश थे जहाँ से ले आयी |
गुज़रे दिनों की धुप थी क़बूल,
क्यों बारिश कहाँ से ले आयी ?
किसी अटके हुए पल की तरह |
किसी माथे की बल की तरह |
किसी सवाल-ए-बेहाल की तरह|
किसी जले हुए काल की तरह |
गोया खींच के वहाँ से ले आयी,
खुश थे जहाँ से ले आयी |
ज़िंदगी हमे यह कहाँ ले आयी ?
खुश थे जहाँ से ले आयी |
ना खबर थी अपनी,
किसी और की क्यों रखते ?
उधार खुद अपने पर था,
किसी और का क्यों रखते ?
एक अपना ही दिल था सीने में बर्बाद |
मासूम दिल किसी और का क्यों रखते ?
इसलिए शायद ज़िंदगी यहाँ ले आयी,
यार अजब !
ज़िंदगी हमे यह कहाँ ले आयी ?
खुश थे जहाँ से ले आयी |
ठहराव नही इसकी तर्बियत,
बस सन्तुलित रहे,
ये जहां से जहां ले आई।
वाह।
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
बोहोत धन्यवाद।
लाजवाब👌👌😎
Thanks a lot!
Life is always changing
Sure.
Comments r always more precious for me .So pl…….
ek ankoha udhvegan…
True. Lovely written. I loved it.