यह मेरे बिस्तर पे सिलवटें कैसी,
रात का जादू था, या तुम थी ?
आ रही है जाबाज़ा दिलरूबा खुशबू,
रात का जादू था, या तुम थी ?
इत्र से भीगे मोहब्बत में,
हर सांस से पिघल गया तन |
लोहा पिघल मोम हुआ ज़मीन पर,
रात का जादू था, या तुम थी ?
कितने नमूने प्यार के,
दिखाए तुमने सारी रात |
अभी तन चहक रहा है,
रात का जादू था, या तुम थी ?
धीरे-धीरे, रफ़्ता-रफ़्ता,
हर अंग में दौड़ने लगी मोहब्बतें |
एक चुभन हुई अजब सी,
रात का जादू था, या तुम थी ?
Sublime!!
Thanks a lot!
BOHOT KHUP SAHAB
धन्यवाद मित्र।
wow…..kya khub likha hai……lajwab.
Thanks a lot for the kind appreciation!
Nice
Thanks a lot!
बहुत खूब
Thanks!