जहाँ फुल खिलते है,
वहीँ खिलते तो अच्छा था |
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था |
तुम ही हमसफ़र बन कर,
साथ चलते तो अच्छा था |
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था |
ज़ख्म जो तेरे प्यार के,
जल्दी ही सिलते तो अच्छा था |
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था |
मेरे आँखों के दीये,
तेरे लिए ही जलते तो अच्छा था |
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था |
इस सूखे शजर के,
पत्ते कभी हिलते तो अच्छा था |
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था
अजब के नाम की मेहँदी,
हाथ में मलते तो अच्छा था |
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था |
Khubsurat jajbaat …..Bhavnaon ko sundarta purvak likha hai.
Thanks a lot for the kind appreciation!
Bahut khoob Nice poem
Thanks a lot for the kind appreciation!
Kya baat
Thanks a lot for the kind appreciation!
तुम से ही प्यार किया था,
तुम ही मिलते तो अच्छा था |
Thanks a lot!