किसी दिल की धड़कन बनकर चूर हुआ,
किसी हथेली की मैल बनकर दुर हुआ |
वक़्त से पहले ही मेरी जवानी पहुँच गयी,
मेरे आने से पहले मेरी कहानी पहुँच गयी |
किसी ज़रुरत की कीमत बनकर मजबूर हुआ,
किसी हथेली की मैल बनकर दुर हुआ |
ज़िंदगी इतनी वीरान हो गयी कर्म से,
कांधो पर अपनी लाश उठा रहा हुँ शर्म से |
अपनी तमाम दौलत से यार खरीद ना सका,
ज़ेर-ए-दस्त थी दुनिया पर प्यार खरीद ना सका |
अपने नमक के लिए कोई हलाल खरीद ना सका,
दुकाने तो बहुत थी पर माल खरीद ना सका |
दिल जीतने का कमाल खरीद ना सका,
अपने ही पसीने के लिए रुमाल खरीद ना सका |
हासिल कुछ ना हुआ पर तजुर्बा ज़रूर हुआ,
ज़मीन पर गिरकर अजब चकनाचूर हुआ |
किसी दिल की धड़कन बनकर चूर हुआ,
किसी हथेली की मैल बनकर दुर हुआ |
Khubsurat kavita.👌👌
Thanks a lot.