चांदिनी रात है, सोने की कायनात है,
एक नया जहान है उस पार |
मुस्कुराते दिन है, ख़ुशी के पल है,
हर राह की मंज़िल है |
उफ़क़ के उस पार |
कौन जिये इस बेक़द्र जहान में बेसबब ?
जाने कहाँ जाएँ कैसे, कहाँ और कब ?
आओ इंसानियत को ले जाते हैं दूर |
हर तरफ हो कोहे-ए-नूर ही कोहे-ए-नूर |
सुख है, अमन है, प्यार है, चाहत है उस पार |
इबादत है, मोहब्बत है, खुदाई है |
उफ़क़ के उस पार |
कीजिये मोहब्बत जिसके बदले मोहब्बत मिले |
कीजिये इबादत जिसके बदले जन्नत मिले |
ना कीजिये बेवफाई के सिलसिले,
कीजिये रोशिनी जिसके बदले शफ़क़ मिले |
एक ऐसे जहान की तमन्ना है मुझको,
जहाँ मोहब्बत मेहबूबा हो, तन्हाई भी हो यार |
एक ऐसा ही जहान है, यार अजब,
उफ़क़ के उस पार |
उफ़क़ का मतलब सर क्या होता है
Horizon.
आप सर बहुत अच्छा लिखते है मैं आपकी पोस्ट पड़ता हु आप लिखते रहिये
बोहोत धन्यवाद।
कृपया आगे शेयर भी करें।
Lost in your writing agastya.
Omg! This is a huge compliment for me.
😊
Do read my today’s poem – you’ll go mad!
Sure I will😊