मिलता नहीं रास्ता

कहाँ जाएगा मुसाफिर ? मिलता नहीं रास्ता |
किस जानिब चलें ज़ीस्त ? मिलता नहीं रास्ता |

कितनी झूठी कसम, और वादा कितना है सस्ता,
कैसे सफर मुक्कमल हो ? मिलता नहीं रास्ता |

नीचे ज़ुल्म-ए-ज़लज़ला, ऊपर खुदा हँसता,
किसके पीछे चलें ? मिलता नहीं रास्ता |

उसके हाथ में है तलवार जिसे दिया गुलदस्ता,
कहाँ खो गयी है शफ़क़ ? मिलता नहीं रास्ता

हर बार यह दिल दिल्लगी करके फसता है अजब,
किस जानिब चले ज़ीस्त ? मिलता नहीं रास्ता |

2 thoughts on “मिलता नहीं रास्ता

Leave a Reply